मोम के बुत  – गज़ल संग्रह में (1998)     विनोद  तिवारी

   

किनारे पर

कोई अनमोल धन होगा, नदी के उस किनारे पर,

मेरा खोया सपन होगा, नदी के उस किनारे पर।

इधर पिंजरों में बंदी पंछियों-सा मैं भी बंदी हूँ,

कि मुक्ताकाश-मन होगा, नदी के उस किनारे पर।

मेरे सपनों की शहज़ादी जहाँ बेहोश लेटी है,

वो शापित शाल वन होगा, नदी के उस किनारे पर।

मैं तिनका तो नहीं हूँ, जो कहीं बह जाऊँ बेमतलब,

कभी निश्चित गमन होगा, नदी के उस किनारे पर।

मैं धारा चीर कर जिस दिन भी परली-पार पहुँचूँगा,

तभी दुश्मन से रन होगा, नदी के उस किनारे पर।

                                     विनोद  तिवारी

कवि संक्षिप्त  परिचय ; – साहित्य को यदि अपने समय और समाज का प्रतिबिम्ब होना चाहिए तो विनोद तिवारी की गज़लों में वो लगातार दिखाई देता है . जीवन को कुछ अलग अंदाज में जीने की प्रतिबद्धता लिए संघर्षरत रहना ही जिनकी पहचान भी थी और नियति भी रही . ताउम्र अपने आसपास की दबी सच्चाइयों को उकेरने का हौसला लिए सामान्य व्यक्ति के अंतर्द्वंदों और अनुभूतियों के रेशे रेशे को बुनने का संकल्प ही इनकी शिल्पगत कसौटी रही . इसी क्रम में तथ्यों को आकाशवाणी समाचार वाचक के दायित्व से  जीवंत बनाना भी इनके लेखन का मकसद रहा . आजीविका के लिये पहले अध्यापक , समाचार वाचक और साथ में  पत्रकारिता भी की  और समाज के जख्मों और  उसके पैबन्दों को सिया भी है . यही इनकी सोच , सामर्थ्य और शिद्दत की तपोभूमि भी रही और इनके  कर्मठता की समिधा भी ….!

जन्म :- 2 मई 1941   में तत्कालीन उत्तरप्रदेश और वर्तमान उत्तराखंड  के सीमा पर बसे गाँव महुआ डाबरा, जसपुर ( जिला उधमसिंह नगर ) में

शिक्षा :   एम ए (हिंदी साहित्य )

प्रकाशन : 1962 से रचना लेखन , शिवम् पत्रिका का जीवन भर संपादन ,  तक़रीबन  रोज अखबारों के

लिये लिखते रहे ,पेंटिंग , क्राफ्ट में नए प्रयोग किया , बाल साहित्य लिखा .

प्रकाशित गज़ल-संग्रह : (1) दर्द बस्ती का (2) मोम के बुत  (1998) (3) सुबह आएगी.

काव्य संकलन:-   (1) हर पल आयी याद तुम्हारी(2012)

(2) रास्तों की जुबान होती है( 2012)

नाटक :-    गूंजती दीवारें (2012)

संपादन  :- चुनिन्दा 10 रचनाकारों का गीत संग्रह:- भोपाल दशक( 2006)

अन्य गतिविधियाँ : जलेस ( जनवादी लेखक संघ ) के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे.

सम्प्रति :- आकाशवाणी भोपाल में वरिष्ठ समाचार वाचक पद से सेवानिवृत .

मृत्यु : कैंसर से 23 फरवरी, 2011 को अवसान.

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